कुलधरा गाँव रात का अँधेरा होते ही रूहानी ताकतों का कब्ज़ा हो जाता है यहां सूर्य ढलते ही कोई नहीं जाता क्योकि यहां रात को बैलगाड़ियों और इंसानो का शोर सुनाई देता है इससे हर कोई इंसान डर जाता है और कहते है vकी रात को यहां से कोई वापस नहीं आया आखिर कुलधरा गांव क्या है रहस्य जो इस गांव को इतना वीराना बना गया
कुलधरा गांव राजस्थान के जैसलमेर जिले में है आज से करीब 200 साल पहले जब कुलधरा खंडहर नहीं था जब कुलधरा के आसपास के 84 गांव पालीवाल ब्राह्मणों से आबाद हुआ करते थे लेकिन इस जगह पर पिछले 200 सालो से यहां कोई नहीं रहता इसके पीछे की कहानी यूँ है की यहां की रियासत के दीवान की नजर इस गांव की एक पुजारी की बेटी पर पड़ी और दीवान उस लड़की से विवाह करना चाहता था परन्तु गांव के पालीवाल ब्राह्मणों का नियम था की वो अपनी कन्या किसी दूसरे ज़ात के साथ विवाह नहीं करेंगे और तो जो मांस और मदिरा का सेवन करता उससे कभी भी संबंध नहीं बनायेगे इस हेतु ब्राह्मणों ने एक बैठक की और कहा की हम रियासत के राजा का सामना नहीं कर सकते और हमे अपने नियम को बचना है तो उन्होंने उस जगह को रातो रात छोड़ने का फैसला किया
साथ ही में उस गांव को श्राप दिया अब इस गांव में कोई आदमी का निवास नहीं कर सकेगा उसी दिन की रात को कुलधरा और उसके आस पास के 84 गांव के पालीवाल ब्राह्मणों ने गांव खाली कर दिए और वहां से दूसरी रियासत में चले गया कहते की उसी दिन की शाम ढलते ही उस गांव पर आत्माओ का कब्ज़ा हो गया लेकिन उस गांव के दो जगह श्राप से मुक्त है
एक शिव मंदिर और एक पानी पीने वाली बावड़ी अगर कोई इंसान यह रात को फस जाये तो ये दो ही स्थान है जहां पर अपनी जान बचा सकता है शुरुआत में दीवान ने काफी प्रयत्न किया की जो गांव वीरान हुए है वो वापस से आबाद हो जाये परन्तु वो असफल रहा बाद में भारत सरकार ने कुछ सामाजिक संघठनो की मदद से 82 गांव फिर से बसा लिए परन्तु कुलधरा और खम्बा दो ऐसे गांव जहाँ पर वो गाँव बसने में असमर्थ रहे और जप आज भी वीराना है परन्तु अब भारतीय पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है जिसे दिन की रोशनी में सैलानियों के लिए रोज खोल दिया जाता है। यहां सैकड़ों पर्यटक आते हैं देश की इस विरासत को करीब से देखते हैं और इस गांव की कहानी सुनते है





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